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पन्द्रह लोगों को 54 तो पचासी लोगों को 49 क्यों?

पन्द्रह लोगों को 54 तो पचासी लोगों को 49 क्यों?

 -के सी पिप्पल

भारत में संपूर्ण आरक्षण व्यवस्था और जनसंख्या का अध्ययन करने पर यह पता लगता है की बहुसंख्यक आबादी देश में अनुसूचित जातियों (16.6%) अनुसूचित जनजातियों (8.6%), अन्य पिछड़ा वर्ग (52.1%), मध्यवर्ती जातियों (8%) है। इनमें सभी धर्मों की समजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों की आबादी शामिल है। कुल मिला कर तीनों वर्गों की जनसंख्या 85% है जबकि इन्हें आरक्षण कोटा मात्र 49% मिल रहा है। दूसरी ओर का सवर्ण जातियों का सामान्य वर्ग है जिसमें सभी धर्मों की साधन और सम्मान संपन्न जातियां शामिल है, इनकी कुल आबादी लगभग 15% है। 2018 तक जो वर्ग आरक्षण का विरोध करते थे उनको मोदी सरकार ने 2018 से पुरस्कार स्वरूप 10% आरक्षण आर्थिक आधार पर दे दिया है जिसका सबसे ज्यादा फायदा ब्राह्मणों को मिलेगा जबकि क्षत्रिय, वैश्य, कायस्थ, भूमिहार, त्यागी और धार्मिक अल्पसंख्यकों की उच्च जातियां भी इनमें शामिल हैं। केवल 5% लोग ही ऐसे बचते हैं जिनको कोई भी आरक्षण नहीं मिलेगा। यह कौन लोग हैं जो सामान्य वर्ग में शामिल हैं जातीय जनगणना से ही पता लग पाएगा जिसे वर्तमान भाजपा सरकार कराने को राजी नहीं है। 

इनके अतिरिक्त ओबीसी की 25% आबादी को आरक्षण से बाहर रखा है क्योंकि 52 को 27% ही मिल रहा है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी 16.6%+8.6%= 25.2% है इनको सिर्फ 15%+7.5%=22.5% आरक्षण मिल रहा है। इस प्रकार एससी एसटी की 3% आबादी को आरक्षण से बाहर रखा गया है।

कुल मिला कर सामाजिक आरक्षण की हकदार  28% आबादी को कोटा से बाहर रखा गया है जिनको सामान्य वर्ग के कोटा में मजबूत के सामने कमजोर शैक्षिक स्तर वाले पिछड़े समुदाय को नौकरी मिलने का कोई चांस ही नहीं लगता।

इस कोटा पद्धति का सबसे अधिक लाभ 5% सामान्य वर्ग के मलाईदार तबके के बच्चों को मिल रहा है जो लगभग शासन, प्रशासन, न्यायिक, रक्षा और शैक्षिक सेवा के 99% महत्वपूर्ण पदों आसीन हैं। दूसरी ओर तीसरी श्रेणी की लगभग 60% पोस्टों पर इसी वर्ग के कर्मचारी काबिज हैं। यह आंकड़े पार्लियामेंट क्वेश्चन के जवाब में कई बार प्राप्त हुए हैं।

इन असली आंकड़ों को छुपाने के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशों को नहीं माना जा रहा है। काका कालेकर की सिफारिश को भी नहीं माना गया था, वर्तमान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों को भी नहीं माना जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों की मांग है कि 2021 में जातीय जनगणना कराई जाए यह भी सरकार नहीं मान रही है। एससी एसटी ओबीसी वर्गों के सभी सामाजिक संगठनों की जातीय गणना की मांग को भी अनदेखा करने का साफ संदेश है कि सरकार 5% संपन्न सवर्ण वर्ग के दबाव में जाति जनगणना न कराके असली मलाईदार 5% वर्ग की सम्पन्नता और उनकी नौकरियों एवं अन्य महत्वपूर्ण शक्ति के केंद्रों में मिल रही सर्वाधिक हिस्सेदारी को अंधेरे रख कर उनके फायदे को उजागर नहीं करना चाहती है।

सरकारी कर्मचारियों की भर्ती नियमों और उनके आरक्षण इत्यादि के आंकड़ों पर सरकार द्वारा दी गई जानकारी निम्न लिखित भाग में देखी जा सकती है।

सरकारी सेवाओं में SCs/ST/OBCs के लिए आरक्षण: भारत सरकार की सेवाओं में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को नियंत्रित करने वाले निर्देश नीचे दिए गए हैं।

2. सीधी भर्ती में आरक्षण:

(क) अखिल भारतीय आधार पर खुली प्रतियोगिता द्वारा सिविल पदों और सिविल सेवाओं के लिए सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति के मामले में अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण होगा।

(बी) अखिल भारतीय आधार पर खुली प्रतियोगिता के सिविल और सिविल सेवाओं के अलावा पदों के लिए सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति के मामले में अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए 16.66 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के लिए 25.84 प्रतिशत आरक्षण होगा।

(सी) दिल्ली को छोड़कर, समूह सी और समूह डी पदों पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण आम तौर पर किसी इलाके या क्षेत्र से उम्मीदवारों को आकर्षित करता है, आमतौर पर संबंधित क्षेत्र में उनकी आबादी के अनुपात के आधार पर तय किया जाता है। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र। ऐसे मामलों में ओबीसी के लिए आरक्षण संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में उनकी आबादी के अनुपात को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है और यह तथ्य कि यह 27% से अधिक नहीं दिया जायेगा और एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण की मात्रा और ऐसे मामलों को (विशेष परिशिष्ट-I) में दर्शाया गया है।

(डी) जहां एक से अधिक राज्यों वाले क्षेत्रों या मंडलों या क्षेत्रों के लिए भर्ती की जाती है, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रतिशत आम तौर पर संबंधित क्षेत्रों / मंडलों / क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अनुपात के आधार पर तय किया जाता है और ओबीसी के लिए आरक्षण संबंधित क्षेत्रों/मंडलों/क्षेत्रों की जनसंख्या में उनके अनुपात को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है और यह तथ्य कि यह 27% से अधिक नहीं हो और एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो।

उदाहरण: मान लीजिए कि किसी संगठन में समूह सी पद पर सीधी भर्ती क्षेत्रीय आधार पर पूर्वोत्तर के 8 राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम से मिलकर बनी है। 2001 की जनगणना के अनुसार इन राज्यों की कुल जनसंख्या और इन राज्यों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 38,857,269 है; क्रमशः 2,486,474 और 10,465,898 इस प्रकार, क्षेत्र में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का अनुपात 6.39% और 26.93% है। क्षेत्र में अन्य पिछड़े वर्गों की अनुमानित जनसंख्या, क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 27% से अधिक है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रतिशत क्रमशः 6%, 27% और 17% निर्धारित किया जा सकता है।

नोट 1: अभिव्यक्ति 'खुली प्रतियोगिता' का अर्थ है यूपीएससी द्वारा सभी भर्तियां चाहे लिखित परीक्षा के माध्यम से या साक्षात्कार या दोनों द्वारा; और अन्य अधिकारियों द्वारा की गई भर्तियां कर्मचारी चयन आयोग या किसी अन्य नियुक्ति प्राधिकारी सहित लिखित प्रतियोगी परीक्षा या परीक्षणों के माध्यम से (लेकिन केवल साक्षात्कार द्वारा नहीं) U.P.S.C द्वारा नहीं की गई कोई भी भर्ती। या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा आयोजित लिखित प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से नहीं किए जाने का मतलब खुली प्रतियोगिता के अलावा सीधी भर्ती होगा।

नोट 2: स्थानीय/क्षेत्रीय/मंडल आधार पर भर्ती के मामले में, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार जो संबंधित इलाके/क्षेत्र/राज्य/जोन/सर्कल से संबंधित नहीं हैं, वे भी आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे।

 

 

 

 

विशेष परिशिष्ट-I : प्रदेशों में ग्रुप सी और डी पदों पर भर्ती में निर्धारित आरक्षण का प्रतिशत

क्र.सं. 

 

राज्य/ संघ राज्य

क्षेत्र का नाम

एससी/एसटी/ओबीसी एवं एफसी केआरक्षण और जनसंख्या का प्रतिशत

अनुसूचित जाति

अनुसूचित जनजाति

अन्य पिछड़ा वर्ग$

अगड़ा  वर्ग*

आरक्षण %

जनसंख्या %

आरक्षण  

%

जनसंख्या

%

आरक्षण %

जनसंख्या%

आरक्षण

%

जनसंख्या %

01 आंध्र प्रदेश

16.00

16.40

7.00

7.00

27.00

50.40

50.00

26.20

02 अरुणाचल प्रदेश

1.00

0.00

45.00

68.80

0.00

2.80

54.00

28.40

03 असम

7.00

7.20

12.00

12.50

27.00

25.30

54.00

55.00

04 बिहार

16.00

15.90

1.00

1.30

27.00

62.60

56.00

20.20

05 छत्तीसगढ़

12.00

12.80

32.00

30.60

6.00

45.50

50.00

11.10

06 गोवा

2.00

1.70

12.00

10.20

18.00

17.90

68.00

70.20

07 गुजरात

7.00

6.70

15.00

14.80

27.00

40.20

51.00

38.30

08 हरियाणा

19.00

20.20

0.00

0.00

27.00

28.30

54.00

51.50

09 हिमाचल प्रदेश

25.00

25.20

4.00

5.70

20.00

17.10

51.00

52.00

10 जम्मू और कश्मीर

8.00

7.40

11.00

11.90

27.00

11.40

54.00

69.30

11 झारखंड

12.00

12.10

26.00

26.20

12.00

46.80

50.00

14.90

12 कर्नाटक

16.00

17.20

7.00

7.00

27.00

55.50

50.00

20.30

13 केरल

10.00

9.10

1.00

1.50

27.00

65.30

62.00

24.10

14 मध्य प्रदेश

15.00

15.60

20.00

21.10

15.00

41.50

50.00

21.80

15 महाराष्ट्र

10.00

11.80

9.00

9.40

27.00

33.80

54.00

45.00

16 मणिपुर

3.00

3.40

34.00

40.90

13.00

52.70

50.00

3.00

17 मेघालय

1.00

0.60

44.00

86.20

5.00

1.20

50.00

12.00

18 मिजोरम

0.00

0.10

45.00

94.40

5.00

1.60

50.00

3.90

19 नागालैंड

0.00

0.00

45.00

86.50

0.00

0.20

55.00

13.30

20 उड़ीसा

16.00

17.10

22.00

22.90

12.00

33.20

50.00

26.80

21 पंजाब

29.00

31.90

0.00

0.00

21.00

16.10

50.00

52.00

22 राजस्थान

17.00

17.80

13.00

13.50

20.00

47.30

50.00

21.40

23 सिक्किम

5.00

4.60

21.00

33.80

24.00

50.60

50.00

11.00

24 तमिलनाडु

19.00

20.00

1.00

1.10

27.00

76.10

53.00

2.80

25 त्रिपुरा

17.00

17.80

31.00

31.80

2.00

16.40

50.00

34.00

26 उत्तर प्रदेश

21.00

20.70

4.00

0.60

27.00

54.50

48.00

24.20

27 उत्तराखंड

18.00

18.80

3.00

2.90

13.00

18.30

66.00

60.00

28 पश्चिम बंगाल

23.00

23.50

5.00

5.80

22.00

8.70

50.00

62.00

29 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

0.00

0.00

8.00

7.50

27.00

18.10

65.00

74.40

30 चंडीगढ़

18.00

18.90

0.00

0.00

27.00

22.20

55.00

58.90

31 दादरा और नगर हवेली

2.00

1.80

43.00

52.00

5.00

4.30

50.00

41.90

32 दमन और दीव

3.00

2.50

9.00

6.30

27.00

37.90

61.00

53.30

33 दिल्ली

15.00

16.80

7.50

0.00

27.00

19.50

50.50

63.70

34 लक्षद्वीप

0.00

0.00

45.00

94.80

0.00

0.70

55.00

4.50

35 पांडिचेरी

16.00

15.70

0.00

0.00

27.00

77.10

57.00

7.20

सम्पूर्ण भारत

15.00

16.6

7.50

8.6

27.00

52.00

53.53

22.80

एससी और एसटी के लिए स्रोत: भारत की जनगणना, 2011, $ओबीसी के लिए स्रोत: एनएसएसओ रिपोर्ट संख्या 563-2011-12. एवं सं.36011/6/2010-स्था.(Res), भारत सरकार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, नई दिल्ली.

*अगड़े वर्गों के आंकड़ों की गणना करने के लिए 100 में से कुल (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग) की प्रतिशत संख्या को घटाया गया है। 2018 से सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर दिया गया 10 फीसदी EWS आरक्षण भी इसमें शामिल है।

 

3. ओबीसी के बीच क्रीमी लेयर

क्रीमी लेयर में आने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के अभर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच क्रीमी लेयर का दर्जा निर्धारित करने के लिए मानदंड (अनुलग्नक II) में दी गई हैं।ओबीसी के बीच क्रीमी लेयर के निर्धारण के लिए मानदंड।

(अनुलग्नक II) : श्रेणी श्रेणी का विवरण क्रीमी लेयर में कौन आएगा

1. संवैधानिक व्यक्ति (ए) भारत के राष्ट्रपति; (बी) भारत के उपराष्ट्रपति; (सी) सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के के न्यायाधीशों के पद पर पदासीन के पुत्र और पुत्री (डी) यूपीएससी के अध्यक्ष और सदस्य और राज्य लोक सेवा आयोग; मुख्य चुनाव आयुक्त; नियंत्रक और भारत के महालेखा परीक्षक; (ई) संवैधानिक धारण करने वाले व्यक्ति समान प्रकृति की स्थिति।

द्वितीय श्रेणी सेवा ए ग्रुप ए / प्रथम श्रेणी अधिकारीऑल इंडिया सेंट्रल के और राज्य सेवाएं (प्रत्यक्ष भर्ती) के पुत्र और पुत्री-

(ए) माता-पिता, जिनमें से दोनों वर्ग हैं मैं अधिकारी; (बी) माता-पिता, जिनमें से कोई एक प्रथम श्रेणी अधिकारी हो; (सी) माता-पिता, जिनमें से दोनों प्रथम श्रेणी के अधिकारी, लेकिन उनमें से एक मर जाता है या स्थायी रूप से अक्षमता पीड़ित है। (डी) माता-पिता, जिनमें से कोई एक प्रथम श्रेणी के अधिकारी और ऐसे माता-पिता मर जाता है या स्थायी रूप अक्षमता से पीड़ित होता है और इससे पहले मृत्यु या ऐसी अक्षमता है में रोजगार का लाभ  लिया था कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे यूएन, आईएमएफ, विश्व बैंक, आदि। कम से कम 5 - 33 वर्षों की अवधि के लिए हो। (ई) माता-पिता, जिनमें से दोनों प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं उनमें से कोई एक मर जाते हैं या स्थायी रूप से पीड़ित होते हैं तो अक्षमता और इससे पहले मृत्यु या ऐसी अक्षमता दोनों, दोनों में से किसी के पास है किसी में रोजगार का लाभ अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे यूएन, आईएमएफ, विश्व बैंक, आदि के लिए कम से कम 5 वर्ष की अवधि।

बशर्ते कि का नियम बहिष्करण निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं होगा-

(ए) माता-पिता के बेटे और बेटियां इनमें से कोई एक या दोनों का प्रथम श्रेणी के अधिकारी कौन हैं और ऐसे माता-पिता मर जाते हैं / मर जाते हैं या स्थायी रूप से भुगतना अक्षमता। (बी) ओबीसी से संबंधित एक महिला श्रेणी ने शादी कर ली है श्रेणी अधिकारी, और वह खुद नौकरी के लिए आवेदन करना पसंद करते हैं।

केंद्र और राज्य सेवाओं में ग्रुप बी या द्वितीय श्रेणी के अधिकारी के पदों पर प्रत्यक्षभर्ती हुए हैं उनके पुत्र और पुत्री कृमि लेयर में आएंगे। जैसे-

(ए) माता-पिता जिनमें से दोनों कक्षा हैं द्वितीय श्रेणी अधिकारी हैं। (बी) माता-पिता जिनके केवल पति द्वितीय श्रेणी के अधिकारी हैं और वह 40 वर्ष की उम्र में प्रथम श्रेणी में प्रोन्नत होता है (सी) माता-पिता, जिनमें से दोनों द्वतीय श्रेणी अधिकारी हैं और उनमें से एक की मृत्यु हो जाती है या स्थायी रूप से पीड़ित है अक्षमता और इनमें से कोई एक उन्हें इसका लाभ मिला है किसी भी अंतर्राष्ट्रीय में रोजगार यूएन, आईएमएफ जैसे संगठन, विश्व बैंक, आदि की अवधि के लिए कम से कम 5 साल पहले ऐसे मृत्यु या स्थायीअक्षमता; (डी) माता-पिता जिनके पति हैं एक वर्ग-I अधिकारी (सीधी भर्ती या पूर्व चालीस पदोन्नत) और पत्नी द्वितीय श्रेणी के अधिकारी और पत्नी हैं मर जाता है; या स्थायी रूप से पीड़ित है अक्षमता; तथा (ई) माता-पिता, जिनमें से पत्नी एक श्रेणी-I अधिकारी (सीधी भर्ती या चालीस वर्ष से पूर्व पदोन्नत) और पति द्वितीय श्रेणी की अधिकारी है और पति मर जाता है या पीड़ित होता है स्थायी अक्षमता बशर्ते कि बहिष्करण का नियम निम्नलिखित में लागू नहीं होगा मामले: के बेटे और बेटियां

(ए) माता-पिता जिनमें से दोनों श्रेणी-II अधिकारी और उनमें से एक की मृत्यु हो जाती है या स्थायी रूप से पीड़ित है अक्षमता। (बी) माता-पिता, जिनमें से दोनों वर्ग-II अधिकारी हैं और उन दोनों की मृत्यु हो जाती है या स्थायी रूप से पीड़ित अक्षमता, भले ही उनमें से किसी के पास है किसी में रोजगार का लाभ अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे यूएन, आईएमएफ, विश्व बैंक, आदि के लिए कम से कम 5 वर्ष की अवधि उनकी मृत्यु से पहले या स्थायी अक्षमता। (सी).सार्वजनिक रूप से कर्मचारी सेक्टर उपक्रम आदि। ऊपर ए एंड बी में दिए गए मानदंड इस श्रेणी में परिवर्तन लागू होगा समकक्ष धारण करने वाले अधिकारियों के लिए परिवर्तन सहित या पीएसयू, बैंकों में तुलनीय पद, बीमा संगठन, विश्वविद्यालय, आदि और समकक्ष या . के लिए भी तुलनीय पदों और पदों के तहत निजी रोजगार, लंबित समकक्ष या पर पदों का मूल्यांकन इन संस्थानों में तुलनीय आधार, श्रेणी VI में निर्दिष्ट मानदंड नीचे इन में अधिकारियों पर लागू होगा-

संस्थान: III. सशस्त्र बलसमेत अर्धसैनिक बल (सिविल पद धारण करने वाले व्यक्ति हैं शामिल नहीं) माता-पिता के पुत्र और पुत्री या तो या दोनों के रैंक में हैं या हैं सेना और सेवा में कर्नल और उससे ऊपर नौसेना में समकक्ष पद और वायु सेना और अर्धसैनिक बल; उसे उपलब्ध कराया :-

(i) यदि एक सशस्त्र बलों की पत्नी अफसर खुद हैं आर्म्ड बल (अर्थात, श्रेणी के अंतर्गत) विचार) का नियम बहिष्करण तभी लागू होगा जब वह खुद रैंक पर पहुंच गई है कर्नल का; (ii)सेवा कर्नल से नीचे है पति-पत्नी का नहीं होगा एक साथ क्लब; (iii) यदि किसी अधिकारी की पत्नी सशस्त्र बल सिविल में है रोजगार, यह नहीं होगा आवेदन करने के लिए ध्यान में रखा गया बहिष्करण का नियम जब तक वह सेवा श्रेणी में आता है मद संख्या II के तहत किस मामले में मानदंड और शर्तें उसमें प्रगणित पर लागू होगा उसे स्वतंत्र रूप से। चतुर्थ व्यावसायिक वर्ग और जो व्यापार में लगे हुए हैं और उद्योग (I) व्यक्तियों, में लगे हुए हैं एक 'डॉक्टर' के रूप में पेशा, वकील, चार्टर्ड लेखाकार, आयकर सलाहकार, वित्तीय या प्रबंधन सलाहकार, दंत चिकित्सक, इंजीनियर, वास्तुकार, कंप्यूटर श्रेणी VI . के लिए निर्दिष्ट मानदंड लागू होगी:-विशेषज्ञ, फिल्म कलाकार और अन्य फिल्म पेशेवर।

वर्तमान में, संवैधानिक पदों पर बैठे (प्रतिनिधि) लोगों के बच्चे क्रीमी लेयर में शामिल हैं और ओबीसी आरक्षण लाभ के हकदार नहीं हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के बावजूद श्रेणी का प्रत्येक उम्मीदवार नौकरियों और शिक्षा में कोटा का हकदार नहीं है। आरक्षण बहस मुख्य रूप से ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणियों के लिए एमबीबीएस और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में कोटा के लिए केंद्र सरकार की घोषणा है। 

जब ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लाया गया था - मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार - 1990 में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं था, सभी ओबीसी सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के हकदार थे। 1992 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के माध्यम से- इंदिरा साहनी मामले के रूप में प्रसिद्ध जिसमें सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी गई थी - क्रीमी लेयर की शुरुआत की गई थी। क्रीमी लेयर ओबीसी श्रेणी के लिए 27 प्रतिशत कोटे के भीतर आरक्षण पात्रता की सीमा निर्धारित करने की अवधारणा के रूप में उभरा। क्रीमी लेयर से संबंधित लोगों को आरक्षण के लाभों से वंचित कर दिया गया था। केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरएन प्रसाद की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति की सलाह पर क्रीमी लेयर के संचालन को अधिसूचित किया।  क्रीमी लेयर थ्रेशोल्ड 1993 में चालू हुआ।

OBC कोटा लाभ का दावा कौन नहीं कर सकता?

सितंबर 1993 में, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सरकारी नौकरियों या आय में रैंक के आधार पर अपनी स्थिति को परिभाषित करने वाले लोगों की एक सूची अधिसूचित की, जिनके बच्चे ओबीसी उम्मीदवारों के लिए अन्यथा उपलब्ध आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकते थे। सूची के लिए सीमा को आय के आधारों के लिए संशोधित किया गया है। वर्तमान में, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के बच्चे क्रीमी लेयर में शामिल हैं और ओबीसी आरक्षण लाभ के हकदार नहीं हैं। जिन बच्चों के माता-पिता ग्रुप- सेवाओं में सरकारी पद पर हैं, उन्हें क्रीमी लेयर में शामिल किया गया है।

एक अपवाद है: यदि माता-पिता 40 वर्ष की आयु के बाद पदोन्नति के माध्यम से समूह- में प्रवेश करते हैं, तो बच्चे कोटा लाभ का दावा कर सकते हैं। यदि माता-पिता दोनों ग्रुप-बी सेवाओं में हैं, तो बच्चे आरक्षण लाभ का दावा नहीं कर सकते। सरकारी पदों पर नहीं रहने वालों के लिए, क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख रुपये वार्षिक आय है। क्रीमी लेयर के निर्धारण के लिए कृषि आय की गणना नहीं की जाती है।

क्या क्रीमी लेयर को फिर से बदला जा रहा है?

यह बहस के लिए है। क्रीमी लेयर के मूल रोलआउट ने केंद्र सरकार को हर तीन साल में आय सीमा को संशोधित करने के लिए अनिवार्य कर दिया। लेकिन पहला संशोधन 11 साल बाद 2004 में हुआ था। तब से, इसे तीन बार संशोधित किया गया है, आखिरी 2017 (8 लाख रुपये-बार) में किया गया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा को संशोधित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। कृषि प्रक्रियाओं से होने वाली आय को इसमें शामिल किया जाना चाहिए या नहीं, इस पर बहस होती रही है। मानसून सत्र के दौरान, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने संसद को बताया कि "ओबीसी के बीच क्रीमी लेयर के निर्धारण के लिए आय मानदंड में संशोधन का प्रस्ताव" विचाराधीन है। ओबीसी वर्ग के सांसदों की ओर से यह भी शिकायत की गई है कि ओबीसी वर्ग के पात्र उम्मीदवारों की कमी का हवाला देकर ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों द्वारा भरा जा रहा है। सरकार द्वारा क्रीमी लेयर पर एक नया निर्णय लेने पर इससे निपटने की संभावना है।

4. पदोन्नति में आरक्षण:

अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए 15 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत का आरक्षण होगा

अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए पदोन्नति द्वारा नियुक्ति के मामले में प्रतिशत सिविल पदों और सिविल सेवाओं के ग्रेड जिनमें सीधी भर्ती का तत्व, यदि कोई हो, नहीं है 75 प्रतिशत से अधिक और जब पद पदोन्नति द्वारा भरे जाते हैं:

(ए) ग्रुप बी, ग्रुप सी और उनमें सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से समूह डी पद;

(बी) ग्रुप बी पोस्ट से ग्रुप ए पोस्ट या ग्रुप बी, ग्रुप सी और ग्रुप डी में चयन द्वारा पोस्ट; तथा

(सी) ग्रुप ए, ग्रुप बी, ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों में गैर-चयन द्वारा।

5. समूह ए के भीतर पदोन्नति में रियायत:

ग्रुप ए पद से दूसरे ग्रुप ए पद पर चयन द्वारा पदोन्नति के मामले में कोई आरक्षण नहीं है। लेकिन जब चयन द्वारा पदोन्नति समूह ए पद से समूह ए पद पर की जाती है, जिसका अंतिम वेतन रु.18,300/- (पूर्व-संशोधित), या उससे कम है, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकारी, जो पदोन्नति के लिए विचार क्षेत्र में पर्याप्त वरिष्ठ हैं, ताकि रिक्तियों की संख्या के भीतर हो, जिसके लिए चयन सूची तैयार की जानी है, उन्हें उस सूची में शामिल किया जाएगा, बशर्ते उन्हें अयोग्य नहीं माना जाता है पदोन्नति के लिए। तथापि, चयन सूची में उनकी स्थिति वही होगी जो उन्हें उनकी सेवा के रिकॉर्ड के आधार पर विभागीय प्रोन्नति समिति द्वारा सौंपी गई है।

नोट: ऐसे मामलों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों की फिटनेस का आकलन पद से जुड़े कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा, न कि पद पर पदोन्नति के लिए निर्धारित बेंचमार्क, यदि कोई हो, के आधार पर।

6. आरक्षण से छूट:

6.1 प्रतिनियुक्ति या आमेलन द्वारा भरे गए पदों पर आरक्षण लागू नहीं होता है, लेकिन जब भी कोई मंत्रालय/ विभाग/ संबद्ध कार्यालय/ अधीनस्थ कार्यालय आदि सार्वजनिक रूप से प्रतिनियुक्ति का प्रस्ताव करता है किसी अन्य मंत्रालय/ विभाग आदि में या उसके अधीन किसी पद पर या उनके अधीन सेवा करने वाले हित अधिकारी, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ओबीसी कर्मचारी संबंधित मंत्रालय/विभाग आदि, जो प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने के पात्र हैं, पर भी ऐसी प्रतिनियुक्ति के लिए अन्य पात्र कर्मचारियों के साथ विचार किया जाना चाहिए। मंत्रालयों/ विभागों जिनके नियंत्रण में प्रतिनियुक्ति या आमेलन द्वारा भरे जाने वाले पद भी उत्पन्न हों, बदले में, प्रतिनियुक्ति या आमेलन द्वारा भरे जाने वाले ऐसे पद (पदों) के लिए व्यक्तियों का चयन करते समय, पात्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के मामलों पर विधिवत विचार करें। वर्ग के कर्मचारी जिनके नाम अन्य मंत्रालयों/ विभागों द्वारा अन्य पात्र कर्मचारियों के साथ प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति या उन पदों पर आमेलन के लिए भेजे गए हैं। जहां किसी भी रोजगार मंत्रालय या कार्यालय द्वारा प्रतिनियुक्ति या आमेलन पर भरे जाने वाले पदों की संख्या काफी अधिक है, संबंधित रोजगार मंत्रालय/ कार्यालय प्रमुख को यह देखने का प्रयास करना चाहिए कि ऐसे पदों का उचित अनुपात अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग, निश्चित रूप से, इन समुदायों से संबंधित योग्य व्यक्तियों की फीडर श्रेणियों से उपलब्धता के अधीन।

6.2 आरक्षण इन पर भी लागू नहीं होता है:

(i) 45 दिनों से कम अवधि की अस्थायी नियुक्तियां;

(ii) वे कार्यभारित पद जो आपात स्थिति के लिए आवश्यक हैं जैसे बाढ़ राहत कार्य, दुर्घटना बहाली और राहत आदि।

7. वैज्ञानिक और तकनीकी पदों में आरक्षण:

7.1 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण संबंधित सेवाओं में समूह ए के निम्नतम ग्रेड सहित "वैज्ञानिक और तकनीकी" पदों पर की गई नियुक्तियों पर लागू होता है।

7.2 ऐसे "वैज्ञानिक और तकनीकी" पद जो निम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करते हैं, उन्हें मंत्रालयों/विभागों द्वारा आरक्षण आदेशों के दायरे से छूट दी जा सकती है:

(i) पद संबंधित सेवा के ग्रुप ए में निम्नतम ग्रेड से ऊपर के ग्रेड में होने चाहिए।

(ii) कैबिनेट सचिवालय (कैबिनेट मामलों के विभाग) के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार उन्हें 'वैज्ञानिक या तकनीकी' के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। 85/11/CF-61(1) दिनांक 28-12-1961 जिसके अनुसार वैज्ञानिक एवं तकनीकी पदों के लिए प्राकृतिक विज्ञान या सटीक विज्ञान या अनुप्रयुक्त विज्ञान या प्रौद्योगिकी में योग्यता है निर्धारित और पदधारियों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में उस ज्ञान का उपयोग करना होगा।

(iii) पद 'अनुसंधान करने के लिए' या 'अनुसंधान के आयोजन, मार्गदर्शन और निर्देशन के लिए' होने चाहिए।

 

7.3 उपरोक्त शर्तों को पूरा करने वाले किसी भी पद को आरक्षण योजना के दायरे से छूट देने से पहले संबंधित मंत्री के आदेश प्राप्त कर लिए जाने चाहिए।

7.4 किसी सेवा के समूह ए के निम्नतम ग्रेड सहित अनुसंधान के लिए आवश्यक वैज्ञानिक और तकनीकी पदों के मामले में जो आरक्षण के दायरे से मुक्त नहीं हैं

आदेश, आरक्षण की योजना के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए, सिवाय इसके कि:

(i) ऐसे पदों में आरक्षित रिक्तियों को केवल एक बार विज्ञापित करने की आवश्यकता है न कि दो बार,

(ii) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों की अनुपलब्धता की स्थिति में, ऐसे पदों पर रिक्तियां संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग द्वारा अनारक्षित की जा सकती हैं। हालांकि, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग या राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग या राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, जैसा भी मामला हो, और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को आरक्षण की आवश्यकता वाले विवरण और कारणों के साथ आरक्षण के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।

8. औद्योगिक श्रमिकों के पदों में आरक्षण:

भारत सरकार के औद्योगिक प्रतिष्ठान और ऐसे प्रतिष्ठानों में पद और ग्रेड, चाहे उन्हें समूह ए, बी, सी और डी के रूप में वर्गीकृत किया गया हो या नहीं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की योजना के अंतर्गत आते हैं।

9. कार्य प्रभारित पदों में आरक्षण:

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के सिद्धांत को आम तौर पर कार्यभारित पदों पर भी यथासंभव उपयुक्त रूप से लागू किया जाना चाहिए। बाढ़ राहत कार्य, दुर्घटना बहाली और राहत आदि जैसी आपात स्थितियों के लिए आवश्यक को छोड़कर। ऐसी नियुक्तियों में आरक्षण का प्रतिशत समूह सी और समूह डी पदों पर लागू होने के अनुरूप हो सकता है।

10. दैनिक रेटेड कर्मचारियों की नियुक्ति में आरक्षण:

हालांकि दैनिक रेट किए गए कर्मचारियों के संबंध में आरक्षण आदेशों को पूरी तरह से लागू करना व्यावहारिक नहीं हो सकता है, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों की भर्ती इस प्रकार की जाती है कि उनका समग्र प्रतिनिधित्व अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण के निर्धारित प्रतिशत से नीचे नहीं जाता है। क्रमशः जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग।

11. नियमित पदों पर कैजुअल वर्कर की नियुक्ति:

नियमित पदों पर अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति सीधी भर्ती का मामला होगा। इसलिए सीधी भर्ती द्वारा पदों को भरने से संबंधित सभी वैधानिक आवश्यकताएं होनी चाहिए:

आकस्मिक श्रमिकों की सेवाओं को नियमित करते समय पालन किया गया। अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण से संबंधित सामान्य आदेश संबंधित मामलों में लागू होंगे:

आकस्मिक श्रमिकों का नियमितीकरण। इन श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए रिक्तियों को संबंधित आरक्षित श्रेणियों के आकस्मिक श्रमिकों द्वारा भरा जाना चाहिए और शेष, यदि कोई हो, हो सकता है इन श्रेणियों से संबंधित बाहरी लोगों द्वारा भरा गया, जो आकस्मिक श्रमिक नहीं हैं। कैजुअल वर्कर, जो आरक्षित श्रेणियों से संबंधित नहीं हैं, उन्हें केवल अनारक्षित रिक्तियों के लिए नियुक्त किया जा सकता है।

12. नवगठित सेवाओं में आरक्षण:

यदि किसी नवगठित सेवा के प्रासंगिक सेवा नियमों के अनुसार, सेवा के प्रारंभिक गठन में नियुक्तियाँ केवल विभागीय उम्मीदवारों में से की जानी हैं, जो पद धारण कर रहे हैं, जो अब नई सेवा में शामिल हैं, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग ऐसी नियुक्तियों पर लागू नहीं होंगे। हालांकि, जहां किसी सेवा का ऐसा प्रारंभिक गठन बाहरी स्रोतों से भर्ती का प्रावधान करता है, अर्थात सेवा के पदधारियों के अलावा जो पुनर्गठित किया गया है या उन पदों के अलावा जो नई सेवा में एक रूप या किसी अन्य रूप में शामिल हैं, से भर्ती बाहरी स्रोत सीधी भर्ती के समान होंगे और इसलिए, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य के लिए आरक्षण प्रदान करने वाले आदेशों को आकर्षित करेंगे।

ऐसी भर्ती के संबंध में पिछड़ा वर्ग। किसी सेवा के प्रारंभिक गठन के प्रत्येक मामले पर उसके गुण-दोष के आधार पर अलग से विचार किया जाना चाहिए ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आवेदन करेंगे। जब भी किसी मंत्रालय/विभाग के नियंत्रण में एक नई अखिल भारतीय या केंद्रीय सेवा का गठन करने का प्रस्ताव किया जाता है, तो उस सेवा के प्रारंभिक गठन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के संबंध में आदेशों की प्रयोज्यता के प्रश्न पर विचार किया जाना चाहिए। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के साथ परामर्श।

13. तदर्थ पदोन्नति में आरक्षण:

इस विभाग का मूल दृष्टिकोण यह है कि तदर्थ पदोन्नति को कम किया जाना चाहिए, यदि पूरी तरह समाप्त नहीं किया गया है। हालाँकि, यदि तदर्थ पदोन्नति असाधारण परिस्थितियों में की जानी है, जैसे कि अदालती मामलों के लंबित रहने के दौरान, लंबे समय तक वरिष्ठता विवाद, भर्ती नियमों का गैर-निर्धारण, सीधी भर्ती में अप्रत्याशित देरी या नियुक्ति अधिकारियों के नियंत्रण से परे कारणों से डीपीसी का आयोजन आदि। तदर्थ पदोन्नति का सहारा लेने के हर अवसर पर निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के पात्र अधिकारियों के दावे भी विधिवत माना हैं।

 (i) उन मामलों में जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण आदेश लागू होते हैं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हिस्से में आने वाली रिक्तियों की संख्या समान होगी यदि रिक्तियों को नियमित आधार पर भरा जाना था।

(ii) चूंकि तदर्थ पदोन्नति वरिष्ठता-सह-फिटनेस के आधार पर की जाती है, इसलिए संबंधित वरिष्ठता सूची में शामिल सभी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को ऐसी रिक्तियों की कुल संख्या के भीतर, जिनके खिलाफ तदर्थ पदोन्नति की जानी है, होनी चाहिए के अनुसार उनकी सामान्य वरिष्ठता के क्रम में विचार किया जाता है वरिष्ठता-सह-फिटनेस के सिद्धांत के आधार पर और यदि उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया जाता है, तो उन सभी को तदर्थ आधार पर पदोन्नत किया जाना चाहिए।

(iii) यदि वास्तविक रिक्तियों की सीमा के भीतर फिट पाए गए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की संख्या नियमित आधार पर रिक्तियों को भरने पर उनके हिस्से के रूप में पहचानी गई रिक्तियों की संख्या से कम है, तो अतिरिक्त अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की संख्या आवश्यक वरिष्ठता सूची में नीचे जाकर पता लगाया जाना चाहिए, बशर्ते वे इस तरह की तदर्थ नियुक्ति के लिए पात्र और उपयुक्त पाए जाते हैं।

(iv) सभी तदर्थ नियुक्तियों को यथाशीघ्र नियमित पदधारियों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना है। जब बाद में नियमित पदोन्नति की जाती है, तो तदर्थ नियुक्त व्यक्तियों का प्रत्यावर्तन वरिष्ठता के विपरीत क्रम में सख्ती से किया जाना चाहिए, सबसे कनिष्ठ उम्मीदवार को पहले वापस किया जाना चाहिए। ऐसे प्रत्यावर्तन के समय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को कोई विशेष रियायत नहीं दी जानी है।

(v) तदर्थ पदोन्नति के लिए किसी अलग औपचारिक रजिस्टर या रोस्टर रजिस्टर को बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। तदर्थ नियुक्तियों के मामले में अनारक्षण, आरक्षण को आगे बढ़ाने आदि की अवधारणा भी लागू नहीं होगी। हालांकि, एडहॉक प्रमोशन रजिस्टर नामक एक साधारण रजिस्टर को अलग-अलग के लिए बनाए रखा जा सकता है पदों की श्रेणियां जिनके लिए तदर्थ नियुक्तियां की जाती हैं, ताकि तदर्थ नियुक्तियों का रिकॉर्ड रखा जा सके और संबंधित पदों पर नियमित पदोन्नति पर उचित क्रम में प्रत्यावर्तन सुनिश्चित किया जा सके।

14. एकल रिक्ति के मामले में आरक्षण:

ऐसे मामलों में जहां प्रारंभिक भर्ती वर्ष में केवल एक रिक्ति होती है और यह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या ओबीसी के लिए आरक्षित बिंदु पर आती है, इसे अनारक्षित माना जाना चाहिए और तदनुसार भरा गया और आरक्षण को बाद के भर्ती वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए। बाद के भर्ती वर्ष में, भले ही केवल एक रिक्ति हो, इसे प्रारंभिक भर्ती वर्ष से अग्रेषित आरक्षण के खिलाफ "आरक्षित" माना जाना चाहिए, और एक अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / ओबीसी उम्मीदवार, यदि उपलब्ध हो, को नियुक्त किया जाना चाहिए। के कारण से रिक्ति, हालांकि यह उस भर्ती वर्ष में एकमात्र रिक्ति हो सकती है। यह प्रावधान सीधी भर्ती के साथ-साथ पदोन्नति पर भी लागू होता है। आरक्षण को आगे बढ़ाने के वर्षों में, आरक्षित रिक्तियों को भरने की सामान्य प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।

15. सार्वजनिक उपक्रमों, स्वायत्त निकायों आदि में आरक्षण:

इस कार्यालय ज्ञापन में निहित निर्देश भारत सरकार के अधीन पदों/सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित हैं। जनता क्षेत्र के उपक्रम, सांविधिक और अर्ध-सरकारी निकाय, स्वायत्त निकाय / नगर निगम सहित संस्थान, सहकारी संस्थाएँ, विश्वविद्यालय आदि।

सरकार, सरकार के अधीन सेवाओं में आरक्षण की तर्ज पर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए उनकी सेवाओं में आरक्षण कर सकती है। सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय, विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को उपयुक्त निर्देश जारी करने की व्यवस्था कर सकता है। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए उनकी सेवाओं में आरक्षण करने के लिए संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय। मंत्रालयों/विभागों को लेना चाहिए प्राप्त करने वाले स्वायत्त निकायों/संस्थाओं की सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए उपयुक्त कार्रवाई संबंधित कानूनों में या संबंधित निकायों के एसोसिएशन के लेखों में उपयुक्त प्रावधान करके भारत सरकार से अनुदान सहायता।

16. स्वैच्छिक एजेंसियों में आरक्षण

16.1 मंत्रालयों/विभागों को केंद्र सरकार से स्वैच्छिक एजेंसियों आदि को अनुदान-अनुदान की मंजूरी के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में जोर देना चाहिए कि वे आरक्षण प्रदान करेंगे अखिल भारतीय आधार पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जाति के लिए 15%, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5% और ओबीसी को 27% की सीमा और जैसा कि किसी इलाके या क्षेत्र के उम्मीदवारों को सामान्य रूप से आकर्षित करने वाले पदों पर सीधी भर्ती के मामले में अनुबंधI में दिखाया गया है:

(ए) प्राप्तकर्ता निकाय नियमित आधार पर 20 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार देता है और इसके आवर्ती व्यय का कम से कम 50 प्रतिशत केंद्र सरकार से सहायता अनुदान से पूरा किया जाता है; तथा

(बी) निकाय एक पंजीकृत सोसायटी या सहकारी संस्था है और भारत की संचित निधि से 2 लाख रुपये और उससे अधिक के सामान्य प्रयोजन वार्षिक सहायता अनुदान प्राप्त कर रहा है।

16.2 स्वैच्छिक एजेंसियों के तहत सेवाओं में आरक्षण प्रदान करने वाले एक खंड को उन नियमों और शर्तों में शामिल किया जाना चाहिए जिनके तहत ऐसी स्वैच्छिक एजेंसियों/संगठनों आदि को सरकार द्वारा कुछ हद तक निम्नलिखित तर्ज पर सहायता अनुदान दिया गया:-

"……….. (संगठन/एजेंसी आदि का नाम) भारत सरकार द्वारा इंगित तर्ज पर अपने नियंत्रण में पदों/सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण करने के लिए सहमत है।”

16.3 विभिन्न स्वैच्छिक एजेंसियों को सहायता अनुदान स्वीकृत करते समय ऐसी एजेंसियों द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को रोजगार देने में की गई प्रगति उनकी सेवाओं में प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्वैच्छिक एजेंसियों आदि को सूचित किया जाना चाहिए कि रोजगार के संबंध में प्रगति उनके अधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को भविष्य में सहायता अनुदान स्वीकृत करते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाएगा।